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मन बैरागी / निदा फ़ाज़ली

2 bytes added, 12:24, 11 अक्टूबर 2020
{{KKRachna
|रचनाकार=निदा फ़ाज़ली
|अनुवादक=
|संग्रह=आँखों भर आकाश / निदा फ़ाज़ली
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<poem>
मन बैरागी, तन अनुरागी, कदम-कदम दुशवारी है
जीवन जीना सहल न जानो बहुत बड़ी फनकारी है
मन बैरागी, तन अनुरागी, कदमऔरों जैसे होकर भी हम बा-कदम दुशवारी इज़्ज़त हैं बस्ती मेंकुछ लोगों का सीधापन है<br>जीवन जीना सहल न जानो बहुत बड़ी फनकारी , कुछ अपनी अय्यारी है<br><br>
औरों जैसे होकर भी जब-जब मौसम झूमा हम बा-इज़्ज़त हैं बस्ती में<br>ने कपड़े फाड़े शोर कियाकुछ लोगों का सीधापन है, कुछ अपनी अय्यारी हर मौसम शाइस्ता रहना कोरी दुनियादारी है<br><br>
जब-जब मौसम झूमा हम ने कपड़े फाड़े शोर किया<br>ऐब नहीं है उसमें कोई, लाल परी न फूल गलीहर मौसम शाइस्ता रहना कोरी दुनियादारी यह मत पूछो, वह अच्छा है<br><br>या अच्छी नादारी
ऐब नहीं है उसमें कोई, लाल परी न फूल गली<br>यह मत पूछो, वह अच्छा है या अच्छी नादारी<br><br> जो चेहरा देखा वह तोड़ा, नगर-नगर वीरान किए<br>
पहले औरों से नाखुश थे अब खुद से बेज़ारी है।
</poem>
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