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अब तो हम हैं / फ़िराक़ गोरखपुरी
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16:12, 25 अक्टूबर 2020
शोखियाँ-हुस्ने-हया-परवर में ये कब थीं 'फिराक़'.
रंग लाई रफ़्ता-रफ़्ता इश्क़ की रुसवाईयाँ.
</poem>
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