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अरे ख्वाबे मोहब्बत की / फ़िराक़ गोरखपुरी
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17:08, 25 अक्टूबर 2020
'फ़िराक़'इक शमअ सर धुनती है पिछली शब जो बालीं पर
मेरी जाती हुई दुनिया की इक तस्वीर होती है.
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