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14:18, 15 नवम्बर 2020 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मोहित नेगी मुंतज़िर
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<poem>
वेगा भी जिकुड़ा ये टीस रे उमर भर।
नोकर्या बाना ऊ गों नि गे उमर भर।
योक कोलू खले ऊँन बीमारी मां
ऊँ ते बस बोनो य्वी बानु व्हे उमर भर ।
मर्दि दों विंगू भी अपणु जन क्वी नि व्हे
जैन केकू कभी कुछ नि ख्वे उमर भर ।
आज छोरूँन धक्का मारी भेर के
निर्भगी बोडी स्या सदनी रवे उमर भर।
</poem>