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|रचनाकार=संदीप रावत
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मन कि आँख्यून अफुथैं अफूं देखी सक्दि त देखी ले
घुप अँध्यरा मा बि उज्याळु देखी सक्दि त देखी ले |

भितर अपणा ल्वे बगद कै$न कब्बि नि देखी रे
भितर तेरा कतगा सक्या परेखी सक्दिपरेखी ले |

फेल-पास से कुछ नि होंद सबसे बड़ी करमों कि जात
हो आज मा तू भोळ अपणू देखी सक्दि त देखी ले |

अपणा हिस्सा को द्यू अफ्वीं यख बळण पड़द मेरा दिदा
कै$का सारा कब तै रैलो अफूं हिटीक त देखी ले |

दुख कि घाण दिक्क -पराण जीवन का हिस्सा -किस्सा छन
हो पीड़ मा बि आस देखी सक्दि छैयी त देखी ले |
</poem>
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