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आँसुओं का नहीं, दोष है आँख का, आँख का भी नहीं दोष मन का कहो।
धीर धरता नहीं पीर के बोझ से, है विकल जो इन्हें घूँटने के लिए।।
-4 जनवरी, 1980१९८०
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