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प्राण हैं आज से टूटने के लिए / शंकरलाल द्विवेदी
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13:27, 24 नवम्बर 2020
आँसुओं का नहीं, दोष है आँख का, आँख का भी नहीं दोष मन का कहो।
धीर धरता नहीं पीर के बोझ से, है विकल जो इन्हें घूँटने के लिए।।
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4
४
जनवरी,
1980
१९८०
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Rahul1735mini
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