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सहज गीत गाना होता तो* / शंकरलाल द्विवेदी
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16:23, 24 नवम्बर 2020
उर के भाव व्यक्त होते तो, इतना कभी उदार न होता।
अपने व्यवहारों में सचमुच, इतना कभी सुधार न होता।।
-
१८ मार्च, १९६२
-१८ मार्च, १९६२
*‘नव-प्रभात’ में प्रकाशित
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