Changes

मरहम लगा लो चहराते हुए जख्म-ए-बिमार-ओ-बेचैन
हँसा लो चेहरा-ए-रौशन-ए-ख़ुदा, हो तुम गर एक इन्सान
 
...................................................................
 
''इस कविता का मूल नेपाली-''
'''[[यात्री / लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा]]'''
 
''यस कविताको मूल नेपाली-''
'''[[यात्री / लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा]]'''
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
9,789
edits