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फिर आख़िर तंग आकर हम ने <br>
दोनों को अधूरा छोड़ दिया <br><br>
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'''[[केही प्रेम गरेँ, केही कर्म गरेँ / फैज अहमद फैज / सुमन पोखरेल|यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्नलाई यहाँ क्लिक गर्नुहोस्]]'''
 
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