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समुद्र र मान्छे / अन्ना स्विर / सुमन पोखरेल
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04:31, 3 दिसम्बर 2020
यो सनातन समुद्रले
हाँस्न कहिल्यै सिक्ने छैन।
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'''[[समुद्र और आदमी / आन्ना स्विरषिन्स्का / सिद्धेश्वर सिंह |इस कविता का हिन्दी अनुवाद पढ्ने के लिए यहाँ क्लिक करेँ ।]]'''
</poem>
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