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नूनको फुटेको ढिक्काझैँ टुक्राटुक्रा भएको मलाई
बटुलेर फेरि सग्लो परिदिउन्‌।
 
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'''[[उदासी का महाकाव्य / निज़ार क़ब्बानी|इस कविता का हिन्दी अनुवाद पढ्ने के लिए यहाँ क्लिक करेँ ।]]'''
 
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