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पाप / फरोग फारुख्जाद / सुमन पोखरेल
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03:11, 4 दिसम्बर 2020
असीम आनन्दले भरिपूर्ण एउटा पाप गरेँ मैले।
हे ईश्वर, भन्न सक्दिनँ, त्यस अँध्यारो, मौन एकान्तमा
खै मैले के गरेँ !
'''[[पाप / फ़रोग फ़रोखज़ाद|इस कविता का हिन्दी अनुवाद पढ्ने के लिए यहाँ क्लिक करेँ]]'''
</poem>
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