Changes

बन्ने गर्दथे जुन सम्बन्धहरू
ती अब के हुन्छन्‌...!
 
...................................................................
'''[[किताबें झाँकती हैं बंद आलमारी के शीशों से / गुलज़ार |इस कविता का मूल हिन्दी पढ्ने के लिए यहाँ क्लिक करेँ ।]]'''
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
10,371
edits