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मकान की ऊपरी मंज़िल पर / गुलज़ार
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09:53, 10 दिसम्बर 2020
मकान की ऊपरी मंज़िल पर कोई नहीं रहता...
......................................................................
'''[[घरको माथिल्लो तलामा / गुलजार / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ ।]]'''
</poem>
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