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02:43, 20 दिसम्बर 2020 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=राज़िक़ अंसारी
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हम प्यासों की है ये कहानी जश्न मनाने लगते हैं
दूर कहीं जब देखें पानी जश्न मनाने लगते हैं
इतने मुश्किल रस्तों पर इस बार सफ़र है लोगों का
देख के थोड़ी सी आसानी जश्न मनाने लगते हैं
हम ऐसे थे, घर ऐसा था, गांव हमारा ऐसा था
देख के हम तस्वीर पुरानी जश्न मनाने लगते हैं
मेरे अपने कुछ लोगों को प्यार है मेरे अश्कों से
देख के मेरी आंख में पानी जश्न मनाने लगते हैं
दिल की हालत पर हम पहले मातम करने लगते थे
देख के अब तो चोट पुरानी जश्न मनाने लगते हैं
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