559 bytes added,
08:24, 22 दिसम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= कविता भट्ट
|संग्रह=
}}
[[Category:चोका]]
<poem>
देनी है तुम्हें
गुरु-दक्षिणा कुछ
ओह! जिन्दगी
पाठशाला के बिन
सिखाया मुझे
गिर के सँभलना।
मुखौटे सभी
तुमने तो उतारे
जब भी किए
दुःख ने पन्नों पर
गहरे हस्ताक्षर।
</poem>