'''एक छोटी कविता'''{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=ज्ञानेन्द्रपति|अनुवादक=|संग्रह=}}{{KKCatKavita}}<poem>
एक ज्योतित कविता
जो न जाने कितने अंधेरों से गुजर कर
लिखी गयी है
एक हंसमुख हँसमुख कविता
जिसके वक्ष में न जाने कितनी
उदासियाँ हैं
एक छोटी कविता
जिसकी मितभाषिता में मुखर है
जिन्दगी ज़िन्दगी की बड़ाई | ज्ञानेन्द्रपति</poem>