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जब पपीहे ने पुकारा / अज्ञेय
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02:21, 8 अक्टूबर 2008
दो पँखुरियाँ झरीं गुलाब की, तकती पियासी
पिया--से ऊपर
झुके
उस फ़ूल को
अऊठ
ओठ
ज़्यों ओठों तले।
मुकुर मे देखा गया हो दृष्य पानीदार आँखों के।
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रजनी.भार्गव