Changes

{{KKCatKavita}}
<poem>
मैं देखती हूँ अनंतकालों अनन्तकालों की बुद्धिमत्ताप्रशस्त जांघों बुद्धिमत्ताप्रशस्त जाँघों में धता बताती सजावटी वस्तुओं के रूप में अपनी उपस्थिति कोमेरी कोमेरी बहनों के मंदिरों मन्दिरों के लिएसाँस लिएसांस लेती हैं प्राचीन आत्माएं आत्माएँ चॉकलेट के गाढ़ेपन की सुख-सुविधा में इससे दम घुटता हैं अफ्रीका के फरिश्तों फ़रिश्तों का जो नाचते हैं ताल परब्रह्माण्ड परब्रह्माण्ड की कोख की यद्यपि वे नहीं कर पाते अनुभूति इसकी उत्पत्ति की अपनी शिराओं में। में ।  मैं हूँ सौभाग्यशाली कि मुझे किया जाता है प्रेमअपनी प्रेमअपनी ही त्वचा के मंदिर मन्दिर में मेरा अंतरंग अन्तरंग चूमता है सूरज को दिव्य सद्भाव से उस मलिनता से मुक्तजो मुक्तजो नहीं जानती इसे ईश्वर जैसा। किंतु जैसा ।  किन्तु उत्पीड़न के पुत्रों ने दी नहीं कभी रोटियां रोटियाँ बहनों को बुझाने को उनके पेट की बुभुक्षु -अग्नि न ही सिखाया उन्होंने करना उन्हें आत्मा की संतुष्टि।इसलिए सन्तुष्टि । इसलिए मैं प्रार्थना करती हूँ उन आवाज़ों से जो फुसफुसाती हैं मेरे कोमल सौंदर्य सौन्दर्य में मेरे वंश की शेरनियों के लिए सुनने को शांत शान्त सरपत के गीत। गीत ।  महसूस करने को परिवर्तन के रक्त का हरित स्पंदन स्पन्दन अपने स्तनों में और जानने को शिशु पालन के मौन में स्वतंत्रता का प्रेमालिंगनजहाँ प्रेमालिंगनजहाँ उनके चमचमाते आबनूस के शरीर हैं प्रतिबिम्ब उनकी आत्माओं के।के । '''अँग्रेज़ी से अनुवाद : श्रीविलास सिंह'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,751
edits