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संवाद / कुमुद बंसल
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07:01, 18 जनवरी 2021
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वृक्षों से संवाद कितना सरल !
बरसात की बूँदों धुला हर गरल !
खिड़की से हाथ बाहर निकालकर
नारियल की टहनी से कहा-
" मेरे पास आओ,
अपना हाथ बढ़ाओ
तुमसे बात करना चाहती हूँ ।"
टहनी ने हाथ बढ़ाया।
संवाद स्थापित हुआ।
<poem>
वीरबाला
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