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[[Category:हाइकु]]
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61
साँसों की पूँजी
बन्द न कर सकी
कोई तिजोरी।
62
बजती रही
समय सरगम
अबाध क्रम।
63
शब्द दो-चार
प्रकट कर देते
भाव-विचार ।
64
भीड़ है बड़ी
मानवता की कमी
फिर भी पड़ी ।
65
सत्य अटल
मिलता कर्मफल
आज या कल।
66
पाषाण जैसा
मानव मन हुआ
आँसू न दया।
67
मेघ कहारश्रमिक भाग्यदूर देश से लायाश्रम की पूँजी हाथवर्षा बहार।बारहों मास।
68
नित नवीनउजड़े बागप्रकृति की सुषमाप्रदूषित नदियाँनहीं उपमा।मानव जाग।
69
आँचल हराकरे उजाड़ढूँढ़ती वसुंधराअहंकार की बाढ़कहीं खो गया।रिश्तों का गाँव ।
70
थक वर्षा की झड़ीमजदूर के सोयादिवस शिशु समसाँझ होते ही ।71मौन हो गयेये विहग वाचालघरनिशीथ काल।ठण्डी सिगड़ी।7788
प्रीत के पाँव
बिन पायल बाजें
सुनता गाँव
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