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जब मिलेगी रोशनी मुझसे मिलेगी / रामावतार त्यागी
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08:54, 19 जनवरी 2021
शाम ने सबके मुखों पर आग मल दी
मैं जला हूँ, तो सुबह लाकर
बुझूंगा
बुझुँगा
ज़िन्दगी सारी गुनाहों में बिताकर
जब मरूँगा देवता बनकर
पुजूँगा
पुजुँगा
; आँसूओं को देखकर मेरी
हँसी
हंसी
तुम
मत उड़ाओ!
मैं न रोऊँ, तो शिला कैसे गलेगी!
</poem>
अनिल जनविजय
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