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प्रथम प्रेमालाप / कविता भट्ट
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12:19, 19 जनवरी 2021
मेरे निरीह सूने जीवन में
कामना की हँसी-हँसी शान्त
आ बसे देवता
मेर
मेरे
मन में मन के कान्त
हँसी खिलखिलाई मन में ही मन की
वीरबाला
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