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किरणों में उज्जल गीत गूँथे हैं मेरे।
मैं उदय-प्रान्त का सिह सिंह प्रदीप्त विभा से,
केसर मेरे बलते हैं कनक-शिखा से।
ज्योतिर्मयि अन्त:शिखा अरुण है मेरी,
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