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आलोकधन्वा / हुंकार / रामधारी सिंह "दिनकर"
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16:48, 11 फ़रवरी 2021
किरणों में उज्जल गीत गूँथे हैं मेरे।
मैं उदय-प्रान्त का
सिह
सिंह
प्रदीप्त विभा से,
केसर मेरे बलते हैं कनक-शिखा से।
ज्योतिर्मयि अन्त:शिखा अरुण है मेरी,
Sharda suman
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