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पर्वतों की गोद में बसे जम्मू नगर में जन्मी '''नाम :''' शशि पाधा बाल्यकाल से ही साहित्य सृजन में संलग्न रहीं।उन्होंने '''जन्म :''' 25, अक्टूबर, '''जन्मस्थान :''' जम्मू - कश्मीर विश्वविद्यालय से '''शिक्षा''' :एम.ए हिन्दी संस्कृत ,एम.ए संस्कृत तथा हिन्दी , बी एड । '''रचना संसार:''' 1. एड पाँच काव्य संग्रह : पहली किरन, मानस मंथन, अनंत की शिक्षा ग्रहण की।ओर, लौट आया मधुमास, मौन की आहटें १९६७ में वे सितार वादन प्रतियोगिता में राज्य के प्रथम 2. शौर्य गाथा (संस्मरण-संग्रह ) 3. निर्भीक योद्धाओं की कहानियाँ (कहानी- संग्रह)'''पुरस्कार से सम्मानित हुईं तथा १९६८ :''' वर्ष 1968 में जम्मू कश्मीर विश्वविद्यालय से "ऑल राउंड बेस्ट वीमेन ग्रेजुयेट " सर्वश्रेष्ठ स्नातक’ के पुरस्कार से। आकाशवाणी जम्मू सम्मान एवं स्वर्ण पदक से पुरस्कृत, वर्ष 2015 में काव्य संग्रह ‘अनन्त की ओर’ के नाटकलिए केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित, परिचर्चा, वाद विवाद , काव्य पाठ आदि विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेते हुए शशि पाधा ने लगभग १६ वर्ष तक भारत 2015 में राष्ट्र भाषा प्रचार समिति जम्मू की ओर से हिन्दी तथा संस्कृत भाषा में अध्यापन का कार्य किया। सैनिक की पत्नी होने और साहित्य के नाते सैनिकों प्रति सतत योगदान के शौर्य एवं बलिदान से अभिभूत हो अनेक रचनाएँ लिखीं। इनके लेख, कहानियाँ एवं काव्य रचनाएँ " पंजाब केसरी " एवं देश विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में छपती रहीं। साथ ही लिए सम्मानित।विशेष; मेरे गीत अनूप जलोटा तथा अन्य गायकों ने उन्हें स्वर बद्ध करके गाया भी। २००२ 2002 में वे यू.एस.ए. आईं और नार्थ केरोलिना के चैपल हिल विश्वविद्यालय में हिन्दी भाषा का अध्यापन किया। इनकी रचनाएँ यू.एस. से प्रकाशित "प्रवासिनी के बोल एवं कैनेडा से प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका हिन्दी चेतना में प्रकाशित हो चुकी हैं। वे भारत तथा यू.एस.ए. की विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ी हैं। अपने परिवार के साथ कनेक्टीकट में निवास करने वाली शशि के दो कविता संग्रह पहली किरण तथा मानस मंथन प्रकाशित हुए हैं ।
ई मेल shashipadha@gmail.com
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