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पात्रता / अजित कुमार
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14:25, 11 अक्टूबर 2008
क्या मैं तुमसे कहूँ कि
इन हाथों को देखो ?
छि:। इनमें तो रक्त
लगा है
अनेक भ्रूण-हत्याओं का ।
कितना ही धोऊँ उसे, वह जैसे का तैसा है ।
अनिल जनविजय
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