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आज़ादी का एक 'पल्लु' / सुब्रह्मण्यम भारती
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14:40, 13 मार्च 2021
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<poem>
आओ नाचें और पल्लु<ref>वह लोकगीत, जो शोषित
जाति
’पल्ल जाति के लोग गाते हैं।</ref> गाएँ
आज़ादी ले ली है हमने, इसकी ख़ुशी मनाएँ
आओ नाचें और पल्लु गाएँ ।
अनिल जनविजय
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