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गुज़री पीढ़ी / अजित कुमार
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14:52, 11 अक्टूबर 2008
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<Poem>
गुज़री पीढी
दूकान बढाने के लिए मजबूर एक मालिक
शासन को, नियम को,
अनिल जनविजय
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