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तरल मीन / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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22:42, 20 मार्च 2021
उमड़ा पीर-सिन्धु
गीले कपोल ।
18
सिंधु से बिंदु
अलग हो भी कैसे
एकाकार है।
19
विलीन हुई
तरंग सागर में
खोजे न मिली
</poem>
वीरबाला
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