गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अँजुरी से पी लूँगा / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
21 bytes added
,
06:34, 23 मार्च 2021
सीने में भर लूँगा
100
'''
कितने युग बाद मिले
'''
'''
पतझर था मन में
'''
''''
तुम बनकर फूल खिले।
'''
101
फिर से वह राग जगा
हम तो इतना जाने
दुनिया नफरत की
ये प्यार न
पहचाने*
पहचाने।
</poem>
वीरबाला
4,747
edits