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नीर लगा उफनाने / रामकिशोर दाहिया
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01:48, 15 अप्रैल 2021
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<poem>
नीर लगा उफनाने
आग जलाये
बैठा तल है
धार चली है
ऊपर गांँव उठाने।
</poem>
०००
डा० जगदीश व्योम
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