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तीर हैं तराने हैं / रामकिशोर दाहिया
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10:31, 19 अप्रैल 2021
छोरी हैं छोरे हैं
आम के टिकोरे हैं
मारकर
लबेदों१
लबेदों
से
चुकनी भर झोरे हैं
छील रहे
डा० जगदीश व्योम
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