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अनुबन्ध / कविता भट्ट

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'''कौन लता किस पेड़ से लिपटे, इसके भी होते अनुबन्ध'''
उन्मुत्तफ़ उन्मुक्त बहना है प्रफुल्ल रहना
जीवन की शर्त है जीवन्त रहना
हृदय की ध्वनि को यों न दबाएँ