Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=फूलचन्द गुप्ता |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=फूलचन्द गुप्ता
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
बोलो जुबाँ सम्भाल कर, सरकार ने कहा है ।
फन्दा गले में डाल कर, सरकार ने कहा है ।

हमने कहा तो रात है, हमने कहा तो दिन,
सूरज मिरा हलाल कर, सरकार ने कहा है ।

दाना, लिबास, दर नहीं, कुछ और बात कर,
वाजिब कोई सवाल कर, सरकार ने कहा है ।

तू चीख़ मत, तू हँस-हँसा, किरदार तू निभा,
जोकर है तू कमाल कर, सरकार ने कहा है ।

तारीफ़ हो, आलोचना कोई करे अगर,
सड़कों पे आ धमाल कर, सरकार ने कहा है ।

सबके सवाल हल हुए, सबको सुकून है,
जुमले नए उछाल कर, सरकार ने कहा है

सारे चिराग तोड़ दे, ख़तम तीरगी हुई,
सबका यक़ीं निढाल कर सरकार ने कहा है ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits