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<poem>
हम बदला लेंगे
तुमसे ए बटमार !

तुमने तोड़े मेरे सपने
तुमने मारे मेरे अपने
हम बदला लेंगे
तुमसे सरमायेदार !

बूढ़ों को बहुत सताया
बच्चों को बहुत रुलाया
हम बदला लेंगे
तुमसे ओहदेदार !

थे बदन में उग आए काँटे
जब तुमने मारे चाँटे
हम बदला लेंगे
तुमसे हवलदार !

फ़सलों पे चलाया रोलर
तुम लूट के ले गए घरभर
हम बदला लेंगे
तुमसे ज़मींदार !

ये दमन का कैसा मंज़र
तोड़े हैं अस्थि-पंजर
हम बदला लेंगे
तुमसे ए सरकार !
</poem>
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