Changes
45 bytes removed,
09:27, 21 मई 2021
{{KKCatNavgeet}}
<poem>
उल्टी धार बहें
भागदौड़ की
रोटी देखें
ढले साँझ हम
लौटे लिये निवाला
रिश्ते-नाते
मीत, पड़ोसी
कम पड़ते हैं
चौबिस घण्टे आधे
घण्टे, घड़ी,
मिनट सब तड़के
खुशी के पल छिन
लम्बे पाँव लगाते
हुकुम बजाकर
बीवी- बच्चे