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04:31, 23 जुलाई 2021 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रेखा राजवंशी
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|संग्रह=
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<poem>
भूल जाने की बात करते हो
दिल लगाने की बात करते हो
पोंछ भी न सके मेरे आँसू
मुस्कुराने की बात करते हो
हम तो यूँ रात भर नहीं सोए
जाग जाने की बात करते हो
देख मुझको संभल न पाए तुम
दूर जाने की बात करते हो
राज़े दिल अब सभी पे ज़ाहिर है
तुम छिपाने की बात करते हो
वो ज़माना कभी गया ही नहीं
जिस ज़माने को याद करते हो
</poem>