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<poem>
किसको कैसे पीर दिखाऊँ?
अंतरमन में घाव बहुत हैं,
अनचाहत के भाव बहुत हैं ;
जग की इस होड़ा-होड़ी में-
किसकी छवि फिर ह्रदय बसाऊँ?
यही इश्वर ईश्वर की कठिन परीक्षा,
पूर्ण न होती मानवी इच्छा,
हुई नहीं भव-भाव समीक्षा-
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