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परछाइयाँ / अर्चना लार्क
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09:41, 12 अगस्त 2021
गर्मियों की शाम
माँ एक झपकी में ही नींद पूरी कर लेती हैं
और
रसोई घर
रसोईघर
में बदल जाती हैं
सपने के भीतर सपना चला आता है
अनिल जनविजय
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