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भैया कृष्ण! / सुभद्राकुमारी चौहान
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16:39, 15 अगस्त 2021
भैया कृष्ण! भेजती हूँ मैं राखी अपनी, यह लो आज।
कई बार जिसको भेजा है सजा-सजाकर नूतन साज॥
लो आओ,
भुनदण्ड
भुजदण्ड
उठाओ, इस राखी में बँधवाओ।
भरत-भूमि की रनभूमी को एकबार फिर दिखलाओ॥
वीर चरित्र राजपूतों का पढ़ती हूँ मैं राजस्थान।
Arti Singh
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