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बोझिल और कोमल / ओसिप मंदेलश्ताम / रमेश कौशिक
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11:24, 8 अक्टूबर 2021
भारी जालों कोमल फन्दों का
दुहरा देना नाम कठिन है
इससे तो आसान उठा लेना पत्थर है .........
और प्यार ने आहिस्ता से
भारी और कोमल गुलाब ले
कोमलता और भारीपन को
दुहरी माला में गूँथा है
</poem>
अनिल जनविजय
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