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अपुष्ट / यानिस रित्सोस / गिरधर राठी
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,
22:28, 12 अक्टूबर 2021
लेकिन
हिम्मत न होती कि उठें
क्योंकि हम जहाँ बैठे थे — बहुत ऊँची सीढ़ी के सिरे
पर —
पर—
और नीचे झाँक रहे थे, वहाँ पायदान न थे ।
हम वहाँ सीढ़ियाँ चढ़कर नहीं पहुँचे थे ।
अनिल जनविजय
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