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उतराई / यानिस रित्सोस / गिरधर राठी
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22:35, 12 अक्टूबर 2021
<poem>
बहरहाल, अब रंगों की तादाद कम हो गई है, वह बोला,
बची-खुची खेतों की हरियाली यह, यही काफ़ी है मेरे
लिए ।
लिए।
और फिर समय के साथ चीज़ें घटती ही हैं ।
चीज़ें सिकुड़ जाती हैं शायद, और फिर विलय ।
अनिल जनविजय
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