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02:36, 3 नवम्बर 2021 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=बेल्ला अख़्मअदूलिना
|अनुवादक=वरयाम सिंह
|संग्रह=
}}
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<Poem>
किसे मालूम-कब तक
एक क्षण या अनन्त तक
भटकते रहना है मुझे इस संसार में।
इस क्षण और उस अनन्त के लिए
धन्यवाद देती हूँ मैं इस संसार को।
कुछ भी हो, अभिशाप नहीं
बल्कि दूँगी आशीर्वाद इस सहजता को
तुम्हारे दुखों की क्षणिकता
और अपने अन्त की
इस ख़ामोशी को ।
'''मूल रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह'''
'''लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी में पढ़िए'''
Белла Ахмадулина
Кто знает - вечность или миг...
Кто знает - вечность или миг
мне предстоит бродить по свету.
За этот миг иль вечность эту
равно благодарю я мир.
Что б ни случилось, кляну,
а лишь благославляю легкость:
твоей печали мимолетность,
моей кончины тишину.
1960
</poem>