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23:19, 14 नवम्बर 2021 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=खगनियाँ
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<poem>
आधा नर आधा मृगराज,
युद्ध बिआहे आवे काज।
आधा टूट पेट में रहै,
बासू केर खगनियाँ कहै।
उत्तर : नरसिंह
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