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<poem>
हमें पेड़ों के, चिड़ियों के, गुलों के नाम आते थे 
हमारे नाम तारों से भी तब पैग़ाम आते थे 

हवा, पानी, घटा, आकाश, धरती भी, सितारे भी 
हमारे गाँव सूरज चाँद घर के काम आते थे

सभी रिश्ते में आते थे सभी से थी अदावत भी 
कई रिश्ते अँधेरे में छुपे बेनाम आते थे 

बहाना कुछ भी आने का, के आँखें कुछ भी कहती हों 
किसी लड़की के होंठों पर महज़ दुश्नाम<ref>गाली; abuse</ref> आते थे  

गली-कूचे में लड़-भिड़ कर सभी जाते थे नालिश को 
अदालत से कचहरी से सभी नाकाम आते थे 
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