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09:52, 25 नवम्बर 2021 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=विनोद प्रकाश गुप्ता 'शलभ'
|संग्रह=आओ नई सहर का नया शम्स रोक लें / विनोद प्रकाश गुप्ता 'शलभ'
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
काेई पाेखर नहीं सूखे काेई दरया नहीं सूखे ,
हमारे बीच अपने पन का ये साेता नहीं सूखे ।
लबाें पर प्यार का भीगा हुआ नग़मा नहीं सूखे ,
तुम्हारी आँख में जीवित काेई सपना नहीं सूखे ।
मुझे ताबीर करनी है मेरे रंगाें की वाे बगिया ,
जहाँ बेवक़्त काेई फूल क्या , पत्ता नहीं सूखे ।
तू बादल है ताे रखना याद तेरी ज़िम्मेवारी है ,
तेरे हाेते हुए आँचल ये, धरती का नहीं सूखे ।
कड़ी है धूप अपने प्यार के साए में तुम रखना ,
मेरे मासूम अरमानाें का ये पाैधा नहीं सूखे ।
‘शलभ’ तुम दाेनाें हाथाें से लुटाना दिल की दाैलत काे ,
दुआ ये है तेरे किरदार का दरिया नहीं सूखे ।
<poem/>