Changes

[[Category: सेदोका]]
<poem>
1149
कुछ न माँगा
माँगी उसकी खुशी
टूटे इन्द्रधनुष
राहुग्रस्त चन्द्रमा।
2150
स्वप्न गहन
अंक में था चन्द्रमा
स्वप्न क्या टूट गया
प्रिय ही रूठ गया।
3151
बज्र शिलाएँ
चढ़ाई भी नुकीली
चढ़ें तो अंगदाह
प्रारब्ध में था लिखा।
4152
मन है एक
दुख सब अलग
चूर चूर सपने
चुभते काँच बन।
5153
पत्थर पूजे
सिर भी टकराया
घायल हुआ माथा
यही अपनी गाथा।
6154
तप्त भाल पे
जड़ दू मैं चुम्बन
हृदय का सितार
मिटें ताप -संताप
7155
अरसे बाद
हुईं नेह बौछार
'''मधुमय संवाद'''
ज्यों कोई मन्त्रोच्चार।
8156
मोती ही मोती
सुगन्ध से भी भरे
स्नेहसिक्त भुजाएँ
कस कण्ठ लगाएँ।
9157
पाखी-से उड़
पहुँच जाते हैं भाव
ढूँढूँ बन महेश।
<poem>
'''25-11-21'''