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आदेश (हिन्दी) / सुमन पोखरेल

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<poem>
आदेश दर आदेश सुनाई देता ही रहता है
नीचे रहने पे ।

दायीं तरफ मत मुड़ना - बायीं करवट मत सोना ।
खुकुरी साथ रखना ‍- हथियार को पास मत रखना ।
दरवाज़े, खिड़कियाँ खुला रखना - दरवाज़े पे ताला मार कर रखना ।
एक से ज़्यादा मिल कर मत चलना ‍- अकेला मत चलना ।
आँख खोल कर मत देखना - चौबीसों घंटे पहरा देना ।
भूखा मत रहना‍ - कुछ भी मत खाना ।
कपड़े मत पहनना - नंगा मत चलना ।

मुझे समझ नहीं आ रहा,
ये आदेश देनेवाले
सोच क्यों नहीं सकते ?


.......................................................
(नेपाली से कवि स्वयं द्वारा अनूदित)

</poem>
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