नया संसार बसाएँगे, नया इनसान बनाएँगें ।
सुख स्वप्नों सपनों के स्वर गूँजेंगे, मानव की मेहनत पूजेंगे,नई कल्पनाचेतना, नई चेतना नए विचारों की हम लिए मशाल —
समय को राह दिखाएँगे, नया इनसान बनाएँगें ।
नया संसार बसाएँगे, नया इनसान बनाएँगें ।
एक करेंगे हम जनता मनुष्यता को, सींचेंगे समता - ममता को,नई पौध के लिए पहनकर जीवन बदल देंगे तारों की जयमाल चाल —
रोज़ त्योहार मनाएँगे, नया इनसान बनाएँगे ।
सौ - सौ स्वर्ग उतर आएँगे, सूरज सोना बरसाएँगे,
दूध - पूत के लिए बदल देंगे तारों पहनकर जीवन की चाल जयमाल —
नया भूगोल बनाएँगे, या संसार बसाएँगे ।